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Barah Aana Zindagi
Barah Aana Zindagi
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Barah Aana Zindagi

सालों बाद जून की कोई गर्म दुपहरी उसी नीम के नीचे कोई ख़याल कागज़ पर उतरा और सिलसिला चल पड़ा…..फिर कभी इंडियन कॉफी हाउस के पेपर नेपकीन पर तो कभी केमिस्ट्री की फाइल में जमा होते गए लमहे … मटका कुल्फी वाली गर्मियों की रातें, आँगन में अलाव सेंकती सुबहें और छज्जे से टपकता सलेटी दिन… यूकेलिप्टस वाले मकान का वो मोड़ भी जहाँ से यादें लिफ्ट ले लेती हैं…कंदील से बतियाता चाँद ,गिफ्ट वाला कड़ा, तकिया टापू की मन्नतें और पटेल ग्राउंड पर लेग बिफोर होता बचपन….. गले गले भर गया गुल्लक तो सोचा तुड़वा लें ऍफ़ डी… खोलकर देखा तो ज़िन्दगी `बारह आने की पड़ीं….अठन्नी में चवन्नी ज़्यादा और रुपये में चवन्नी कम
150.00
Bevkoofi Ka Saundarya
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Bevkoofi Ka Saundarya

अनूप शुक्ल के धारदार व्यंग्य संग्रहों से सजी पुस्तक “बेवकूफ़ी का सौंदर्य” हमारी निर्मल आनंद की सोच को आगे बढाती है। हम जिन बातो को साधारण मानकर नज़र अंदाज़ कर देते है अनूप शुक्ल उनमे भी हास्य ख़ोज लेते हैं। हिंदी साहित्य में एक अच्छे व्यंग्य संग्रह की जो एक कमी लम्बे समय से है ये पुस्तक उसे पूरा करने का प्रयास अवश्य करती हैं।
125.00
Kaumudi
Kaumudi

Kaumudi

मानव मन एक जटिल परंतु बहुत ही कोमल संरचना है जिसमें भावनाएं कई उद्गारों के रूप में जन्म लेती हैं! कविताएं मानव मन की सम्वेदनाओं एवं भावनाओं को वर्णन करने का एक बहुत ही सुंदर माध्यम माना गया है! कविताएं मानव मन के उन संवेगों एवं भावनाओं को बहुत ही सुंदर शब्दों में हमारे समक्ष प्रस्तुत करती हैं
150.00
Mujhe Jugnuo Ke Desh Jana Hai
Mujhe Jugnuo Ke Desh Jana Hai

Mujhe Jugnuo Ke Desh Jana Hai

सबाहत आफ़रीन की कहानियों में स्त्री पात्र के भीतर छटपटाहट है, बेचैनी है। उनकी कहानियों के किरदार बोसीदा रीति रवाजों को मानने से इनकार करते हैं। उनकी कहानियों का मन समाज के बनाये बन्धनों में जकड़ा हुआ ज़रूर है मगर वो किसी हाल में उम्मीद नहीं छोड़तीं। उनकी आँखों में उम्मीद के दिए जल रहे हैं, एक ख़ाब मतवातिर उनके ज़ेहन में चलता रहता है जो उन्हें यक़ीन दिलाता है कि आज नहीं तो कल हालात सुधरेंगे। कभी तो वो रात आएगी जब मुठ्ठियों में बंद जुगनू आज़ाद होंगे और अँधेरी फ़ज़ा फिर से रोशन हो उठेगी।
225.00
Parijaat Ke Phool

Parijaat Ke Phool

कहते हैं पारिजात के फ़ूलों की ये विशेषता होती है कि वो रात में खिलते हैं और सुबह तक मुरझा कर गिर जाते हैं,और ये फूल उस वृक्ष के नीचे ना बिखर के उसकी परिधि से बाहर कुछ दूर जाके गिरते हैं।ऐसा कोई श्राप है शायद, जो पेड़ और उसके फूलों का बिखराव और अलगाव सुनिश्चित करता है।
150.00
Suraj Ki Missed Call
Suraj Ki Missed Call
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Suraj Ki Missed Call

ऋग्वेद के गायत्री-मंत्र से लेकर समकालीन कवि सूर्यभानु मिश्र की कविता 'ओ भाई सूरज' तक साहित्य में सूर्य का सुघड़-परिष्कृत मानवीकरण आपने पहले भी देखा-पढ़ा और दुहराया होगा पर सूरज के इतने संवेदी रूप,जनजीवन से उसका ऐसा राब्ता, ऐसी मूल्य-चेतना और अपनी किरणों से उसका ऐसा आत्मीय लगाव कम ही देखा होगा।

इस संकलन 'सूरज का मिस्ड कॉल' में सूरज के इतने मूड, इतनी क्रियाएं, इतनी मुद्राएं और भंगिमाएं हैं कि आप मुग्ध हो जाएंगे . यहां नदी और ताल पर चमकता सूरज है, ट्रेन और हवाई जहाज में साथ चलता और बतियाता सूरज है, कोहरे की रजाई में दुबका सूरज है, अंधेरे के खिलाफ सर्च वारंट लेकर आता मुस्तैद सूरज है, ड्यूटी कम्प्लीट करने के बाद थका-हारा सूरज है और अपनी बच्चियों यानी किरणों पर वात्सल्य छलकाता पिता सूरज है।

इस सूर्य-संवाद की भाषा शास्त्रीय नहीं, समकालीन है. बहती  हुई, बोलती हुई हिंदी . वैसी ही हिंदी ,जैसी आज-कल सूरज के तमाम 'क्लाइंट्स' की  है . यह कहना बड़ा मुश्किल है कि इस संकलन में सूरज अनूप शुक्ल की आंख से दुनिया देख रहा है या अनूप शुक्ल सूरज की आंख से। यह सूरज दरअसल लेखक का आत्मरूप है।

  • प्रियंकर पालीवाल
149.00
आलाकमान
आलाकमान
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आलाकमान

प्रतुल सिन्हा द्वारा लिखित उपन्यास 'आलाकमान' राजनीति और मिडिया के अन्दर की गहरी सतहों को परत दर परत कुरेदता है. इस उपन्यास को पढना एक तरह से रोमांचक सफ़र का अनुभव करना है. लेखक - प्रतुल सिन्हा प्रथम संस्करण पेपरबैक संभावित डिलीवरी – 3-5 दिन
Original price was: ₹150.00.Current price is: ₹29.00.
कॉर्पोरेट पंचतंत्र
कॉर्पोरेट पंचतंत्र
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कॉर्पोरेट पंचतंत्र

लेखक - आलोक पुराणिक यह किताब ज्ञान बांटने की एक कोशिश है। किसी भी दफ्तर में चलनेवाली हर किस्म की चमचागिरी, चुगलखोरी, प्रमोशन वगैरह के पीछे की पालिटिक्स क्या है, इसे समझना हर उस बंदे या बंदी के लिए जरुरी है, जो किसी भी दफ्तर में बचा रहना चाहता है, प्रमोशन पाते रहना चाहता है। इस किताब की 44 कहानियों से हर इंपलाई,हर नौकरीशुदा,हर आम आदमी दुनियादारी का ऐसे सबक हासिल कर सकता है, जो किसी भी कोर्स में नहीं दिये जाते। सो इस किताब को पढ़िये और लाइफ में आगे बढ़िये,बस यह किताब किसी के साथ शेयर मत कीजिये। शेयर करके कोई समझदार हो गया, तो आपका एक कंपटीटर फोकटी में खड़ा हो जायेगा। प्रथम संस्करण पेपरबैक संभावित डिलीवरी – 3-5 दिन
Original price was: ₹150.00.Current price is: ₹29.00.
खिड़कियो से.. (लघुकथा संग्रह)
खिड़कियो से.. (लघुकथा संग्रह)
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खिड़कियो से.. (लघुकथा संग्रह)

दीपक मशाल की लघुकथाएं छोटे-छोटे जीवनानुभवों की झांकियां हैं। वह बुंदेलखंड की ज़मीन से आते हैं और उसके दुःख-दर्द आज तक अपने साथ लिए चलते हैं। एक छोटे गाँव-कसबे से निकलकर देश-विदेश की यात्राएं करते हुए दीपक ने एक बड़ी दुनिया देखी है, या कहें कि न केवल देखी है बल्कि उससे मिले अनुभवों को आत्मसात किया है. दीपक की इन लघुकथाओं में कोई विस्फोटक या चौंकाने वाला कथ्य नहीं है बल्कि रोज़मर्रा के जीवन में मानवीय संबंधों, उनके भीतर की कशमकश, बदलते समय और सोच के बीच का विद्रूप यहाँ बहुत सहजता से सामने आता है। यहाँ लेखक देश, दुनिया या समाज से ही सवाल नहीं पूछता है बल्कि वह ख़ुद अपने आपसे या पाठक से सवाल करता है। -विवेक मिश्र
लघुकथा संग्रह प्रथम संस्करण पेपरबैक संभावित डिलीवरी – 3-5 दिन
 
Original price was: ₹150.00.Current price is: ₹39.00.