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वंदना स्त्री है तो स्त्री विमर्श से अलग तो हो नहीं पाती, किन्तु हाँ कुछ कहानियां अपवाद के रूप में अलग सी है। इनकी कहानियों में स्त्री विमर्श के विभिन्न रंग देखने को मिलते है, जैसे नारी स्वभाव के अनुसार काम-काज से फुर्सत पा चुकी स्त्रियाँ सर्वाधिक आनंद पाती है अपनी ही कौम यानी स्त्री का छिद्रानुवेषण करने में, बस उसके लिए कोई सुपात्र मिल जाना चाहिए। ये जायके वाली कहानी “बातों वाली गली” काफी दिलचस्प है।
- अचला नागर
कहानी संग्रह ‘बातों वाली गली’
लेखक – वंदना अवस्थी दुबे
प्रथम संस्करण
पेपरबैक
संभावित डिलीवरी – 3-4 दिन
Description
वंदना स्त्री है तो स्त्री विमर्श से अलग तो हो नहीं पाती, किन्तु हाँ कुछ कहानियां अपवाद के रूप में अलग सी है। इनकी कहानियों में स्त्री विमर्श के विभिन्न रंग देखने को मिलते है, जैसे नारी स्वभाव के अनुसार काम-काज से फुर्सत पा चुकी स्त्रियाँ सर्वाधिक आनंद पाती है अपनी ही कौम यानी स्त्री का छिद्रानुवेषण करने में, बस उसके लिए कोई सुपात्र मिल जाना चाहिए। ये जायके वाली कहानी “बातों वाली गली” काफी दिलचस्प है।
- अचला नागर
कहानी संग्रह
लेखक – वंदना अवस्थी दुबे
प्रथम संस्करण
पेपरबैक
संभावित डिलीवरी – 3-4 दिन
Keep it up Maam… very peaceful your words make me feel happy again.
किताब का इंतज़ार है बेसब्री से.
I read her on FB for years. She is superb. Straight thinking socially active. I’m eager to get this book.
आपके एक एक शब्द जैसे उंगली पकड़ के पुरानी बिसरी गलियों की सैर करती है। और जी करता है कि उन्ही गलियों में खो जाए।