अच्छी और बुरी कविता हर समय और हर युग में लिखी गयी और निरंतर लिखी जाती रहेगी। लेकिन सार-सार को गहि ले थोथा दे उड़ाय यह नीर-क्षीर विवेक कविता प्रेमी समाज के पास सदा रहा है और रहेगा। उम्दा कविताएं हमारी संस्कृति की स्मृति पटल का हिस्सा हैं, लोकमानस का प्रेरणा गान हैं । यही कविता की ताकत है और उसकी पहुंच है। इन कविताओं के विषय आस पास के मनुष्यों की समस्याओं, उधेड़बुनों और लगातार संवेदनहीन होते जा रहे समाज के बीच से उठाए गए हैं, कोशिश है कि उस लम्हे को आपके सामने रचनागत ईमानदारी से प्रस्तुत किया जाए जो बहुधा जीवन की दौड़धूप में आपकी दृष्टि से छूट जाता है या ओझल हो जाता है। मेरा मानना है कविता मनुष्य को लगातार और बेहतर, मुकम्मल, जिम्मेदार इंसान बनाने की कोशिश करती है और जब तक दुनिया के किसी भी कोने में कोई कवि अपनी कलम चलाता रहेगा यह आश्वस्ति बनी रहेगी। - अतुल चतुर्वेदी
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