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Parijaat Ke Phool

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कहते हैं पारिजात के फ़ूलों की ये विशेषता होती है कि वो रात में खिलते हैं और सुबह तक मुरझा कर गिर जाते हैं,और ये फूल उस वृक्ष के नीचे ना बिखर के उसकी परिधि से बाहर कुछ दूर जाके गिरते हैं।ऐसा कोई श्राप है शायद, जो पेड़ और उसके फूलों का बिखराव और अलगाव सुनिश्चित करता है।

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Description

कहते हैं पारिजात के फ़ूलों की ये विशेषता होती है कि वो रात में खिलते हैं और सुबह तक मुरझा कर गिर जाते हैं,और ये फूल उस वृक्ष के नीचे ना बिखर के उसकी परिधि से बाहर कुछ दूर जाके गिरते हैं।ऐसा कोई श्राप है शायद, जो पेड़ और उसके फूलों का बिखराव और अलगाव सुनिश्चित करता है।

रिशी की कहानियाँ भी अपनी जड़ों से टूट कर बिखर गई उन शाखों और फूलों की दास्तान हैं, जो खुद में गर्वित भी हैं और एक दूसरे के बिना अधूरे भी।पुस्तक उन्ही सब की कहानी कहती है जहाँ कहीं छूटे हुए बचपन की टीस है, बहुत सी अनकही बातें हैं,परिवार का बिछोह है।

गंभीर और क्लिष्ट हिंदी वाली पुस्तकें अच्छी मानी जाती हैं, और अक्सर मनोरंजन के लिए ऐसी पुस्तकें पढ़ते वक़्त आपको हल्का होने के लिए कोई दूसरी हल्की फुल्की पुस्तक भी पढ़नी पढ़ जाती हैं।हालांकि रिशी के पात्र आम बोलचाल की भाषा ही बोलते हैं, फिर भी ऐसा ना हो, इसलिए कहानियों का क्रम कुछ इस प्रकार रखा गया है कि एक लंबी कहानी के बाद आपको एक छोटा व्यंग मिले।ताकि आप तरोताजा हो आगे बढ़ सकें।जहाँ दोस्तों की बकैती है, मोहब्बतें हैं,आईपीएल है।

रिशी की कहानियों के पात्र गाँव,स्कूल, कॉलेज या आम नौकरी पेशा लोग हैं।कहानियों के पात्र एक आम निम्न मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखते हैं, एक सीमित भौगोलिक दायरे में रहते हैं और अतीत के जीव हैं, उस काल के जब मोबाइलों और सोशल मीडिया ने हमें गुलाम नहीं बनाया था।

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