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Mujhe Jugnuo Ke Desh Jaana Hai
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सबाहत आफ़रीन की कहानियों में स्त्री पात्र के भीतर छटपटाहट है, बेचैनी है। उनकी कहानियों के किरदार बोसीदा रीति रवाजों को मानने से इनकार करते हैं। उनकी कहानियों का मन समाज के बनाये बन्धनों में जकड़ा हुआ ज़रूर है मगर वो किसी हाल में उम्मीद नहीं छोड़तीं। उनकी आँखों में उम्मीद के दिए जल रहे हैं, एक ख़ाब मतवातिर उनके ज़ेहन में चलता रहता है जो उन्हें यक़ीन दिलाता है कि आज नहीं तो कल हालात सुधरेंगे। कभी तो वो रात आएगी जब मुठ्ठियों में बंद जुगनू आज़ाद होंगे और अँधेरी फ़ज़ा फिर से रोशन हो उठेगी।
Description
Reviews (5)
5 reviews for Mujhe Jugnuo Ke Desh Jaana Hai
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Neeraj Goswamy –
एक दौर था जब हम इस्मत चुग़ताई, कृशन चंदर, बेदी, अब्बास, ऐनी आपा, कृष्णा सोबती जैसे लेखकों की कहानियों के तिलिस्म में गुम रहते थे। धीरे धीरे वो दौर चला गया। कहानियां तो उनके बाद भी बेहतरीन लिखी जाती हैं लेकिन पता नहीं क्यों वैसा तिलिस्म नज़र नहीं आता। सबाहत जी ने उस दौर के फिर से लौटने की आहट दी है और ये कोई छोटी बात नहीं।
देर याद रह जाने वाले क़िरदार और उनकी कहानियों कहना बच्चों का खेल नहीं – मेरी बात पर यकीन नहीं तो आप इस किताब को पढ़ कर देखें ।
Usha Kiran –
आज पन्द्रह दिन बाद दो घन्टे पहले घूमघाम कर घर वापिस लौटी हूँ…आपकी ‘जुगनू’ …मिली😊 फ्रैश होकर चाय के साथ पलटी तो मन को बाँध लिया जैसे। किसी भी किताब का कवर, कागज, छपाई, छपाई में शब्दों का आकार ये सब यदि मनपसन्द नहीं हैं तो मैं नहीं पढ़ पाती। इसमें वो सब बाखूबी हैं…ख़ूबसूरत कवर, बढ़िया छपाई, बड़े अक्षर, बढ़िया कागज…। सलीके से रची गई मनमोहक किताब ! जल्दी से एक कहानी पढ़ गई। उर्दू मिश्रित भाषा इतनी सुन्दर है कि हर पंक्ति दो बार पढ़ी । `तनहा ख्वाब’ ने मन मोह लिया। बहुत मुबारक 💐
कुछ और कहानिएं पढ़ ली हैं…सुन्दर कथानक को सादगी से लाजवाब रोचक भाषा में गूँथ कर बुनी हुई कहानियों वाली ये किताब वाकई आपको जुगनुओं के देश ले जाएगी। यकीनन एक बार शुरु करके आप उसे आसानी से नहीं छोड़ पाएंगे। एक बात मेरे जेहन में बार- बार आती है कि पूछूँ- सबाहत ये इतना सुन्दर टाइटिल सूझा कैसे ? जो पढ़ता होगा मन में कह उठता होगा – हाँ- हाँ वहाँ तो मुझे भी जाना है😊।
सबाहत ढेरों बधाई और दुआएं कि आप ऐसी कई पुस्तकें और लिखें…और हम पढ़े ।
अर्चना पंत –
जुगनुओं के ख़्वाब लिए एक बेहतरीन किताब !
सबाहत आफ़रीन यानी कि एक शबनमी लहजा, नायाब दास्तानगोई की सलाहियत, बातें ऐसी लच्छेदार कि पढ़ते चले जाइये और मन न भरे और उस पर औरत के भीतर की वो सारी परत-दर-परत का बयान, जिन्हें शायद ही किसीने इतनी ख़ूबसूरती से कभी खोला हो !
उनकी कहानियों में स्त्री अपनी तमाम बेड़ियों में बंधी हुई भी सपने देखने का हौसला नहीं छोड़ती। उसकी उम्मीद का चिराग़ किसी आँधी से नहीं बुझता, पुराने सड़े-गले रीति-रिवाजों की क़ैद से अपनी हर हसरत को आज़ाद कर वो जुगनुओं के देश में जाने का ख़्वाब बुनती है।
सबाहत आफ़रीन को पढ़ते हुए बारहा इस्मत आपा याद आईं …. वही बेबाकी, वही तेवर, वही कहन की कला, वही अंदाज़ की ख़ूबसूरती।
बेहद उम्दा किताब।
Azeem siddiqui –
Best book five star rating
please read
Some of the best reviews are the product of a critic who brings personal experience into their analysis of the book at hand.
Vedant Mamgain –
अपने अंतर्मन के अनछुए भावों की बेकरारी और साथ में समाज के तथाकथित अकाट्य रीति – रिवाजों के बंधन होते हुए भी अपनी आशा बनाये रखती इस कहानी संग्रह की कहानियां कुछ को अपनी सी प्रतीत हो सकती हैं , कुछ को नागवार भी गुजर सकती हैं। इतनी बेबाकी से अपने समाज की सभी पुरानी विचारधारा को तोड़ने की कोशिश करती सबाहत आफ़रीन जी की लेखनी दिवाकर की भांति अपनी प्रखरता ऐसे ही फैलाती रहे