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रूके रूके से क़दम – पूनम कासलीवाल

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एक जिंदा कहानी – जो शब्द दर शब्द गढ़ती है एक ऐसा दृश्य जो देखा देखा सा और अपने आस पास घटित होता जान पड़ता है।
कहानी एक पटकथा की संपूर्ण गुणों से सुसज्जित है। कभी सुनते थे कि उसने शब्दों से चित्रकारी की है – पूनम की कलम उसकी जिंदा मिसाल है।
यह कहानी हर उस दिल को छूएगी जिसमें अब भी धड़कन बाकी है। नई पीढ़ी जानेगी उस गुजरी पीढ़ी को – कुछ सीखेगी कि सीमा रेखाएं कहाँ तक आँकी जाती हैं? कुछ दूरियाँ चलना और समझना भी जरूरी है किन्तु वहीं तट की मर्यादा न लांघी जाए, उसका आँकलन भी उतना ही जरूरी है। इसका आभाव सुनामी में परिणित होगा जो मात्र तबाही लाएगा- भविष्य की कोख में क्या है यह भला कौन जान पाया है।
मैं इस कहानी को असीम संभावनाओं की जननी करार देता हूँ और मुझे उम्मीद है कि इस कहानी से गुजर कर हर पाठक मुझसे सहमत होगा।

– समीर लाल ‘समीर’

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Description

एक जिंदा कहानी – जो शब्द दर शब्द गढ़ती है एक ऐसा दृश्य जो देखा देखा सा और अपने आस पास घटित होता जान पड़ता है।
कहानी एक पटकथा की संपूर्ण गुणों से सुसज्जित है। कभी सुनते थे कि उसने शब्दों से चित्रकारी की है – पूनम की कलम उसकी जिंदा मिसाल है।
यह कहानी हर उस दिल को छूएगी जिसमें अब भी धड़कन बाकी है। नई पीढ़ी जानेगी उस गुजरी पीढ़ी को – कुछ सीखेगी कि सीमा रेखाएं कहाँ तक आँकी जाती हैं? कुछ दूरियाँ चलना और समझना भी जरूरी है किन्तु वहीं तट की मर्यादा न लांघी जाए, उसका आँकलन भी उतना ही जरूरी है। इसका आभाव सुनामी में परिणित होगा जो मात्र तबाही लाएगा- भविष्य की कोख में क्या है यह भला कौन जान पाया है।
मैं इस कहानी को असीम संभावनाओं की जननी करार देता हूँ और मुझे उम्मीद है कि इस कहानी से गुजर कर हर पाठक मुझसे सहमत होगा।

– समीर लाल ‘समीर’

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